दिल्ली के बाद कर्नाटक में भी वही ब्लंडर- जात भी गंवाए, भात भी न खाए!
बहस लाइव EXCLUSIVE
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Read moreकांग्रेस ने पहले न्याय और लोकतंत्र का खूब मखौल उड़ाया है, इसका मतलब यह नहीं कि न्याय मांगने और हासिल
Read moreमौजूदा संवैधानिक स्थिति (जितनी मेरी समझ है) और राजनीतिक शुचिता (यहां पर मेरा मतलब मूलतः हॉर्स ट्रेडिंग रोकने भर से
Read moreबीजेपी बदनाम है, लेकिन सांप्रदायिक राजनीति करने में कांग्रेस के सामने वह आज भी बच्ची है। बीेजेपी हिन्दुओं की दोस्त
Read moreजो काम अभी तक दुनिया के बड़े-बड़े वैज्ञानिक नहीं कर पाए हैं, वह काम बसपा ने कर दिखाया है। उसने
Read moreमेरा मानना है कि अयोध्या विवाद का हल अगर दोनों समुदायों के मेल-जोल से निकल आए, तो इससे अच्छी बात
Read moreराजनीति बड़ी निर्मम होती है। इसमें पुरानी स्थापित मूर्तियों को तोड़ने और नई मूर्तियों को स्थापित करने का काम आवश्यकतानुसार
Read moreदेखिए, अगर बीजेपी आडवाणी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाती है, तो उन्हें नीतीश कुमार (जेडीयू) भी सपोर्ट करेंगे, मुलायम
Read moreहर बार राष्ट्रपति चुनाव से पहले आम सहमति का राग छेड़ा जाता है, जबकि हमें मालूम है कि नीलम संजीव
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