निराला की काव्यसुंदरी जैसी थी रेणुका चौधरी की हंसी?
संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के दौरान कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी की हंसी या कहें अट्टहास सोशल मीडिया पर लगातार छाया हुआ है। अब वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार ने भी अपने फेसबुक पोस्ट में रेणुका चौधरी की हंसी पर चुटकी लेते हुए कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक मशहूर कविता की पैरोडी बनाई है।
हालांकि अभिरंजन कुमार ने अपने पोस्ट में रेणुका चौधरी या प्रधानमंत्री का नाम नहीं लिया है, लेकिन उनके लिखने के अंदाज़ से स्पष्ट है कि उनका इशारा किस तरफ़ है। उन्होंने लिखा है-
बचपन में जो लेख लिखने को मिला था, उसे आज लिख रहा हूं। अगर मैं पीएम होता, तो उस अनमोल हंसी, पर अपनी बात कुछ यूं रखता-
“सभापति महोदय, उनसे कुछ मत कहिएगा। आज उनकी यह खूबसूरत हंसी सुनकर मुझे महाप्राण निराला की एक कविता याद आ गई। आपकी इजाज़त से उसमें थोड़े संशोधन करके उन्हें समर्पित कर रहा हूं-
यह हँसी बहुत कुछ कहती है,
सबके सपने में रहती है,
झरनों-नदियों सी बहती है,
देती है सबके दाँव, बंधु!
यह भवन वही जिसमें हँसकर,
वह बैठीं कुर्सी में धँसकर,
आँखें रह जाती हैं फँसकर,
कँपते हैं दोनों पाँव, बंधु!
करना मत इनसे क्लेश, बंधु!
पूछेगा सारा देश, बंधु!
सचमुच उनकी यह हंसी काफी हसीन है। इस सुमधुर हंसी का इस्तेमाल उन्हें बेहद सावधानी से करना चाहिए। कहीं कोई चुरा न ले।”
अभिरंजन कुमार का पोस्ट यहां देखें-
यहां पढ़ें निराला की मूल कविता
जिन पाठकों ने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की वह कविता नहीं पढ़ी है, जिसपर अभिरंजन कुमार की यह पैरोडी आधारित है, उनके लिए वह पूरी कविता नीचे दी जा रही है-
“बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!
पूछेगा सारा गाँव, बंधु!
यह घाट वही जिस पर हँसकर,
वह कभी नहाती थी धँसकर,
आँखें रह जाती थीं फँसकर,
कँपते थे दोनों पाँव बंधु!
वह हँसी बहुत कुछ कहती थी,
फिर भी अपने में रहती थी,
सबकी सुनती थी, सहती थी,
देती थी सबके दाँव, बंधु!”
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के दौरान विपक्ष की तरफ से खलल पैदा करने की कोशिशें की जा रही थीं। इसी दौरान, कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी काफी तेज़ हंसी हंसने लगीं। आम तौर पर संसद में ऐसी हंसी, वह भी किसी महिला नेता की तरफ़ से कभी देखने को नहीं मिलती थी। इससे प्रधानमंत्री के भाषण में व्यवधान पैदा हो रहा था।
इसलिए, पहले तो उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकेया नायडू ने उन्हें यह कहकर फटकारा कि आपको क्या हुआ है? कुछ समस्या हो तो डॉक्टर के पास जाइए। इस तरह का अशिष्ट बर्ताव शोभा नहीं देता।
इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने चेयर को संबोधित करते हुए कुछ इस तरह तंज कसा- “सभापति जी रेणुका जी को कुछ न कहें, क्योंकि रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी सुनने का सौभाग्य आज मिला है।”
इस घटना के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से एक-दूसरे को मर्यादा का पाठ पढ़ाया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने जहां इसके बाद रेणुका चौधरी की हंसी की तुलना में शूर्पनखा की हंसी का वीडियो शेयर किया था, वहीं कांग्रेस की तरफ से रेणुका चौधरी को द्रोपदी की तरह दिखाया जा रहा है, जिनका भरी सभा में चीरहरण किया गया था।
इन तीन सवालों के जवाब कौन देगा?
लेकिन इस पूरे मामले से कम से कम तीन सवाल ऐसे उठ खड़े हुए हैं, जिनके जवाब के बारे में हर किसी को सोचना चाहिए-
- मर्यादा किसने तोड़ी- रेणुका चौधरी ने या प्रधानमंत्री ने?
- रेणुका चौधरी की हंसी अधिक अमर्यादित थी या प्रधानमंत्री की टिप्पणी अधिक अमर्यादित थी?
- मर्यादा क्या एक ही पक्ष के लिए लागू होनी चाहिए या दोनों पक्षों के लिए?
इन सवालों को लेकर आप भी अपने विचार कमेंट के ज़रिए हमसे साझा कर सकते हैं।