भारत अगर चाहता है शांति और सौहार्द्र, तो पाकिस्तान को मिटाना ही होगा!
पाकिस्तान से दोस्ती की कामना करने वाले सभी लोग देश-विरोधी नहीं हैं। हम सब ऐसी कामना करने वालों में रहे हैं। लेकिन हां, अब इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि यह दोस्ती संभव नहीं है। पाकिस्तान दुनिया की आंखों में धूल झोकने के लिए भले बीच-बीच में बातचीत के रास्ते अपनाने की बात करे, लेकिन कश्मीर में घुसपैठ, आक्रमण और वहां की फ़िज़ाओं में ज़हर घोलना उसका वन-प्वाइंट एजेंडा है।
पाकिस्तान के इस एजेंडे का मुकाबला दोस्ती की बातें करके नही किया जा सकता, क्योंकि इससे उसके इस वन-प्वाइंट एजेंडे को और ताकत मिलती है। अगर सामने वाला लगातार आपको गालियां दे, आपसे मारपीट करे, तो उससे दोस्ती की बातें करना भी आपकी कमज़ोरी को ही परिलक्षित करता है, जिससे सामने वाले का मनोबल और उत्पात बढ़ता ही चला जाता है।
इसलिए पाकिस्तान के वन-प्वाइंट एजेंडे के जवाब में भारत को भी अब एक वन-प्वाइंट एजेंडा बनाना होगा। वह वन-प्वाइंट एजेंडा यह होना चाहिए कि एक राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान के अस्तित्व को मिटाना है। क्योकि जब तक मौजूदा स्वरूप में पाकिस्तान का अस्तित्व रहेगा, तब तक वह भारत समेत पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र और पूरी दुनिया को आतंकवाद की सप्लाई करता ही रहेगा।
एक राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान के अस्तित्व को मिटाने के लिए सबसे पहला कदम यह होना चाहिए कि भारत पाकिस्तान को “आतंकवादी देश” का दर्जा दिलाने के लिए दुनिया में मुहिम छेड़े और इसकी शुरुआत स्वयं करे। यह नहीं हो सकता कि एक तरफ़ आप उसे “मोस्ट फेवर्ड नेशन” का दर्जा दिए रखें और दूसरी तरफ़ दुनिया में घूम-घूमकर रोते भी रहें कि वह आपके यहां आतंकवाद की सप्लाई कर रहा है।
इसलिए, भारत सारी हिचक छोड़कर पाकिस्तान से “मोस्ट फेवर्ड नेशन” का दर्जा छीने और उसे “आतंकवादी देश” घोषित करे। और फिर एक आतंकवादी देश या दुश्मन देश के साथ जैसा सुलूक होना चाहिए, पूरी सख्ती से उसके साथ वैसा ही सुलूक करे। इसमें उसके साथ हर तरह का संबंध समाप्त करना और हर तरह की सहायता रोकना शामिल है।
अब तक सारे युद्ध पाकिस्तान ने शुरू किए है, लेकिन अगर ज़रूरत पड़े तो अब एक निर्णायक युद्ध की पहल करने से भी भारत को हिचकना नहीं चाहिए। पाकिस्तान द्वारा रोज़-रोज़ के परोक्ष युद्ध से बचने के विकल्प के तौर पर इसे अपनाने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि इन परोक्ष युद्धों में हमारे जितने सैनिक और नागरिक मारे गए हैं, उससे अधिक किसी सीधे युद्ध में भी नहीं मारे गए।
इसलिए भारत,
- पाकिस्तान की सामरिक घेराबंदी करने के लिए उससे त्रस्त देशों और मित्र देशों का एक समूह बनाए, जो आवश्यक होने पर पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए तैयार रहे।
- अगर सचमुच पाक-अधिकृत कश्मीर को अपना अभिन्न अंग मानता है, तो वहां अपना सीधा सैन्य हस्तक्षेप स्थापित करे
- बलूचिस्तान और सिंध के नागरिकों को एक क्रूर देश की ग़ुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए हर संभव सहायता दे, जिसमें सैन्य सहायता भी शामिल है।
- पाकिस्तान में अन्य जगहों पर भी आतंकवादियों के ठिकानों पर कार्रवाई करे।
- पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों के बारे में पुख्ता जानकारी हासिल कर उन्हें ध्वस्त करे और ज़रूरी होने पर पहले परमाणु हमला न करने की नीति छोड़ दे।
शांति हमेशा श्रेयस्कर है, लेकिन यह भ्रम हमें नही पालना चाहिए कि शांति के रास्ते हर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। गांधी जी पूरे जीवन अहिंसा की वकालत करते रहे, कहा कि मेरी लाश पर देश का बंटवारा होगा, लेकिन उनके देखते-देखते हज़ारों लाशें गिरा दी गईं और देश का बंटवारा हो गया। गांधी के अहिंसा के रास्ते चलने वाले इस देश के अनगिनत बेगुनाहों की लाशें आज भी गिराई जा रही हैं।
एक राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान के अस्तित्व को मिटाने के लिए सबसे पहला कदम यह होना चाहिए कि भारत पाकिस्तान को “आतंकवादी देश” का दर्जा दिलाने के लिए दुनिया में मुहिम छेड़े और इसकी शुरुआत स्वयं करे। यह नहीं हो सकता कि एक तरफ़ आप उसे “मोस्ट फेवर्ड नेशन” का दर्जा दिए रखें और दूसरी तरफ़ दुनिया में घूम-घूमकर रोते भी रहें कि वह आपके यहां आतंकवाद की सप्लाई कर रहा है। -अभिरंजन कुमार
इस देश के लोगों ने सांपों की भी पूजा करने का रास्ता अपनाया, लेकिन सच्चाई यही है कि इस रास्ते वे सांपों का चरित्र नहीं बदल पाए। मजबूरन उन्हें आत्म-रक्षार्थ सांपों का फन भी कुचलना ही पड़ता है। इसी तरह, राक्षसों का वध करने के लिए देवी-देवताओं को भी हथियार उठाने ही पड़े। शिशुपाल की क्या कम ग़लतियां माफ़ की थीं भगवान कृष्ण ने? और क्या पाकिस्तान शिशुपाल से कम ग़लतिया कर रहा है?
इसलिए भारत को कृष्ण के रास्ते पर चलकर एक बार फिर से पाकिस्तान नाम के शिशुपाल का वध करना ही होगा। शिशुपाल मरेगा, तो उसकी प्रजा जश्न मनाएगी। पाकिस्तान का अस्तित्व मिटेगा, तो मौजूदा पाकिस्तान के नागरिक भी राहत की सांस लेंगे। आख़िर किसे अच्छा लगता होगा कि कभी गाना गाने की वजह से, तो कभी स्कूल जाने की वजह से उसे और उसके बच्चों को गोली मार दी जाए?
इसलिए, पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त होने से-
- पाकिस्तान के नागरिकों के अच्छे दिन आ जाएंगे। उन्हें दकियानूसी धर्मांध कट्टर व्यवस्था से मुक्ति मिलेगी और आतंकवादियों के हाथों जान नहीं गंवानी पड़ेगी। फिर न हमारी किसी बेटी का हाल मलाला जैसा होगा, न हमारे किसी भाई का हश्र अमजद साबरी जैसा होगा।
- कश्मीर के लोगों के अच्छे दिन आ जाएंगे। दोनों तरफ़ के कश्मीर के लोग भारत के साथ मिलकर तरक्की के रास्ते पर चल पड़ेंगे। इस जन्नत में आकर दुनिया के लोग ख़ुद को धन्य समझेंगे और यहां पर्यटन का नया आसमान खुलेगा।
- लोग देख लेंगे कि द्विराष्ट्रवाद का सिद्धांत फेल हो गया है, इसलिए भारत में स्थायी रूप से हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द्र की स्थापना हो जाएगी। आतंकवाद ख़त्म हो जाएगा। बंटवारे की टीस ख़त्म हो जाएगी। फिर न तो किसी पर दुश्मन देश से मोहब्बत का आरोप लगेगा, न कोई किसी से पाकिस्तान चले जाने को कहेगा।
- दक्षिण एशिया के देशों से लेकर अफगानिस्तान तक अच्छे दिन आ जाएंगे। पूरी दुनिया में जो भी देश आज आतंकवाद से त्रस्त हैं, उन सबके अच्छे दिन आ जाएंगे। दुनिया देख लेगी कि आतंकवाद को राष्ट्र-धर्म बनाकर कोई देश कायम नहीं रह सकता। इससे अन्य आतंकवादी देशों और संगठनों को भी सबक मिलेगा।
- पूरी मानवता के अच्छे दिन आ जाएंगे। इस पूरे इलाके में बेगुनाह लोगों का मारा जाना बंद हो जाएगा। सब निडर होकर एक से दूसरी जगह आएंगे-जाएंगे। हम लोग भी घूमने के लिए सिंध और बलूचिस्तान चले जाया करेंगे और हमारे वहां के भाई-बहन भी दिल्ली, आगरा और अजमेर शरीफ़ आ जाया करेंगे।
very nice piece of litrature