व्यंग्य: राष्ट्रपति पद की गरिमा सुरक्षित व बरकरार रखने के दस नायाब सुझाव

अभिरंजन कुमार जाने-माने पत्रकार, कवि और मानवतावादी चिंतक हैं।

भारत में जिस तरह से राष्ट्रपति के चुनाव होते रहे हैं, उन्हें देखकर मेरे कुछ सुझाव हैं, जिन्हें मानना चाहें तो मानें… न मानना चाहें तो भी कोई बात नहीं।

(1) राष्ट्रपति को देश का पहला नागरिक नहीं, देश का पहला रबड़-स्टाम्प मानना चाहिए। इससे राष्ट्रपति पद की गरिमा और बढ़ेगी, क्योंकि सिद्धांततः नागरिक तो सभी बराबर हैं। उनमें पहला कौन और अंतिम कौन? इसलिए किसी को देश का पहला नागरिक कहना बनावटी और अव्यावहारिक लगता है। वैसे भी, देश का पहला नागरिक तो वही हो सकता है, जो देश के नागरिकों द्वारा चुना जाए, लेकिन चूंकि राष्ट्रपति को देश के कुछ शीर्ष नेता और राजनीतिज्ञ चुनते हैं, इसलिए उसे देश के पहले रबड़-स्टाम्प का दर्जा दिया जाना अधिक व्यावहारिक और तर्क-सम्मत होगा। यहां यह अंडरस्टूड है कि देश में किसी भी अन्य रबड़-स्टाम्प को राष्ट्रपति नाम के रबड़ स्टाम्प के बाद ही माना जाना चाहिए।

(2) राष्ट्रपति के चयन में क्रमिक आरक्षण भी लागू किया जा सकता है। जैसे एक बार अगड़ा, एक बार पिछड़ा, एक बार दलित, एक बार महादलित, एक बार आदिवासी, एक बार मुस्लिम, एक बार सिख, एक बार ईसाई। अगर इतने से भी राजनीति की मांग पूरी नहीं होती हो, तो इस क्रमिक आरक्षण को इस रूप में भी लागू किया जा सकता है- एक बार तेली, एक बार मोची, एक बार पंडित, एक बार ठाकुर, एक बार यादव, एक बार कुर्मी, एक बार शिया, एक बार सुन्नी आदि। और इस क्रमिक आरक्षण को इन प्रकारों से लागू करते हुए विशेष रूप से एक बार महिला, एक बार पुरुष के आरक्षण को भी ध्यान में रखा जाए।

(3) भारत के राष्ट्रपति को आम चुनावों में शीर्ष राजनीतिज्ञों के लिए वोट मांगने का अधिकार भी मिलना चाहिए। चुनाव-प्रचारों के दौरान उसे कुछ इस तरह से वोट मांगने की छूट देनी चाहिए- मैं देश के समूचे तेली समुदाय… मैं देश के समूचे मोची समुदाय… मैं देश के समूचे पंडित समुदाय… मैं देश के समूचे ठाकुर समुदाय… मैं देश के समूचे यादव समुदाय… मैं देश के समूचे कुर्मी समुदाय… से अपील करता हूं कि आप अपना कीमती वोट अमुक पार्टी… अमुक नेता को ही दें।

(4) राष्ट्रपति पर होने वाले भारी ख़र्चे को देखते हुए यह भी किया जा सकता है कि एक बहुत बड़ा रबड़ स्टाम्प बनवाया जाए। सोने-चांदी-हीरे-मोतियों से मढ़वाकर उसी को राष्ट्रपति का दर्जा दे दिया जाए। जब भी सरकार को ज़रूरत पड़े, अपने फ़ैसलों पर वह उसी रबड़ स्टाम्प से ठप्पा मार ले। उस ठप्पे के बाद सरकार के किसी भी फ़ैसले को न चुनौती दी जा सके, न उससे असहमति जताई जा सके।

(5) राष्ट्रपति पद के लिए अगर एक बड़ा कीमती रबड़ स्टाम्प बनवाने को लेकर आम सहमति न बन सके, तो इसके लिए एक बेहतरीन रोबोट भी बनवाया जा सकता है, जो रबड़ स्टाम्प की तुलना में अधिक जीवंत भी होगा। साथ ही, जनता के सामने पेश करते समय इसकी जाति भी निर्धारित कर दी जानी चाहिए। मसलन, यह तेली जाति का रोबोट है कि बनिया जाति का रोबोट है। यह पंडित जाति का रोबोट है कि ठाकुर जाति का रोबोट है। यह शिया जाति का रोबोट है कि सुन्नी जाति का रोबोट है।

(6) अगर राष्ट्रपति पद के लिए कोई कीमती रबड़ स्टाम्प या बेहतरीन रोबोट बनवाना राष्ट्र-धर्म के अनुकूल न लगे, तो इसे हॉली काउ, हॉली कुरान, हॉली पुराण, हॉली संविधान इत्यादि की तर्ज पर कोई हॉली स्ट्रक्चर या भावना भी दी जा सकती है।

(7) अगर इतना सब तामझाम भी न करना हो, तो राष्ट्रपति की नियुक्ति सरकार को सीधे उसी तरह करनी चाहिए, जैसे प्रधान सचिव, मुख्य सचिव, फलां सलाहकार, ढिमकां सलाहकार इत्यादि की की जाती है। इससे जनता के पास इस बात का स्कोप नहीं रहेगा कि वह उस पद पर नियुक्ति को लेकर अधिक भावुक हो या उससे ज़रूरत से ज़्यादा अपेक्षाएं पाल ले।

(8) राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रियों के पदनाम बदल दिये जा सकते हैं। जैसे राष्ट्रपति ‘राष्ट्रसेवक’ कहलाए, प्रधानमंत्री ‘प्रधान सेवक’ कहलाए और मंत्री सिर्फ़ ‘सेवक’ कहलाए। ‘राष्ट्रसेवक’ उसकी सेवा करे, जो उसके कार्यकाल में ‘राष्ट्र का पर्यायवाची’ हो। जैसे एक ज़माने में ‘इंदिरा इज इंडिया’ कहा जाता था, मतलब इंदिरा गांधी उस ज़माने में ‘राष्ट्र की पर्यायवाची’ थीं। इसी तर्ज़ पर जिस ज़माने में जो भी व्यक्ति ‘राष्ट्र का पर्यायवाची’ हो, राष्ट्रपति उसकी सेवा करे। यहां यह अंडरस्टूड है कि जब सभी लोग मिलकर ‘राष्ट्र’ की सेवा करेंगे, तभी ‘राष्ट्र’ आगे बढ़ेगा।

(9) चूंकि कहा गया है ‘राष्ट्र प्रथम।‘ इसलिए देश के ऑर्डर ऑफ प्रेसिडेंस में उसी व्यक्ति को प्रथम माना जाना चाए, जो ‘राष्ट्र का पर्यायवाची’ हो। इस प्रकार राष्ट्रपति को ऑर्डर ऑफ प्रेसिडेंस में इधर-उधर कहीं शिफ्ट किया जा सकता है, क्योंकि वह ‘राष्ट्र का पर्यायवाची’ नहीं, बल्कि ‘राष्ट्र का सेवक’ होता है। इसलिए, राष्ट्रपति को देश के ‘प्रथम रबड़-स्टाम्प’ या ‘प्रथम रोबोट’ या प्रथम हॉली ‘जीव’ या ‘भाव’ जितना ही ‘पवित्र’ और ‘महत्वपूर्ण’ माना जाना चाहिए और ऑर्डर ऑफ प्रेसिडेंस में उसी हिसाब से जगह दी जानी चाहिए।

(10) राष्ट्रपति पद पर चाहे किसी कीमती रबड़ स्टाम्प को बिठाएं या किसी बेहतरीन रोबोट को या किसी हॉली ‘जीव’ या ‘भाव’ को, इसकी मर्यादा सुरक्षित और बरकरार रहनी चाहिए एवं इस पद की मर्यादा को सुरक्षित और बरकरार रखने की पूरी की पूरी ज़िम्मेदारी देश के आम नागरिकों की होनी चाहिए।

और अंत में आपको इन पांच नारों और गीतों को निरंतर गाते रहने का भी सुझाव दे रहा हूं-

  1. जन गन मन अधिनायक जय हे भारत भाग्यविधाता।
  2. विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा।
  3. इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के।
  4. भारत माता की जय।
  5. वन्दे मातरम।

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