बहस लाइव: नीतीश कुमार बड़े मौसम वैज्ञानिक हैं या रामविलास पासवान?

बिहार में कुर्सी की ख़ातिर जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस और लालू से गलबहियां की और फिर कांग्रेस और लालू को पटका देकर बीजेपी की गोद में बैठने का सुख प्राप्त किया, उससे उनकी अवसरवादिता, मौकापरस्ती और सिद्धांतविहीनता को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गरम है। उनकी इस अवसरवादिता, मौकापरस्ती और सिद्धांतविहीनता की वजह से पिछले चार साल में बिहार में चार सरकारें बन चुकी हैं, जबकि जनता ने 2010 के चुनाव में भी और 2015 के चुनाव में भी एक-एक गठबंधन को पूर्ण बहुमत दिया था और इस तरह की डांवाडोल सरकारों की कहीं कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी थी।

ऊपर से जब नीतीश-बीजेपी के नए मंत्रिमंडल में लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान के भाई पशुपति नाथ पारस भी शामिल कर लिए गए, तो सभी हैरान रह गए। क्योंकि पशुपति नाथ पारस न विधानसभा, न ही विधान परिषद के सदस्य हैं। इसके बावजूद सिर्फ़ रामविलास पासवान का भाई होने की वजह से नीतीश मंत्रिमंडल में जगह पा गए। मज़े की बात यह है कि गुजरात दंगों के बाद से ही नरेंद्र मोदी का जमकर विरोध करने वाले रामविलास पासवान स्वयं भी मोदी कैबिनेट में सीनियर मंत्री हैं।

इससे सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार और रामविलास पासवान- इन दोनों नेताओँ की तुलना शुरू हो गई है। वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार ने अपने फेसबुक पोस्ट में लोगों से सवाल पूछा कि “नीतीश कुमार बड़े मौसम वैज्ञानिक हैं या रामविलास पासवान?”

इसके बड़े दिलचस्प जवाब आए हैं, जिन्हें आप यहां नीचे देख सकते हैं-

सीनियर जर्नलिस्ट अमिताभ श्रीवास्तव ने इस व्यंग्यात्मक सवाल का व्यंग्यात्मक जवाब देते हुए लिखा- “पासवान= यूआर राव, नीतीश= एपीजे अब्दुल कलाम. क्लीयर?” यानी वो कहना चाहते हैं कि दोनों एक से बढ़कर एक हैं और “को बड़ छोट कहत अपराधू” जैसी स्थिति है।

एनसीपी के वरिष्ठ नेता और तारिक अनवर के करीबी सहयोगी अनिल किशोर झा लिखते हैं- “Birds of the same feather” यानी दोनों एक समान पंखों वाले पक्षी हैं।

जमुई से चिराग पासवान के ख़िलाफ़ 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ चुके आरजेडी के प्रमुख दलित नेता सुधांशु शेखर भास्कर लिखते हैं- “दोनों एक पर एक हैं भाई।” यानी दोनों एक से बढ़कर एक हैं।

मगध यूनिवर्सिटी में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक रहे सत्येंद्र कुमार कहते हैं- “सवाल थोड़ा कठिन है, परंतु दोनों ही समान रूप से मंजे हुए मौसम वैज्ञानिक तो हैं ही।”

सबसे दिलचस्प जवाब सुबोध कुमार ने दिया है। वे लिखते हैं- “रामविलास पासवान जी मौसम वैज्ञानिक हैं, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन नीतीश कुमार उस मौसम विभाग के डायरेक्टर इन चीफ है।”

टीवी प्रोग्रामिंग प्रोफेशनल प्रियांक दुबे शास्त्री ने कहा कि “ये तो मौसम के ऊपर है।” यानी किस मौसम में कौन बड़ा वैज्ञानिक बनकर उभर आए, कहना मुश्किल है।

कई लोग हैं, जो दोनों को एक ही जैसा बता रहे हैं। जैसे, मृत्युंजय कुमार पाठक कहते हैं- “दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।”

शशि शंकर भी कहते हैं- “दोनों को कुर्सी प्यारी है।”

धर्मजय कुमार, वेंकटेश रमण, अविनाश रंजन, राजीव रंजन कुमार आदि भी इसी मत के हैं यानी नीतीश कुमार और रामविलास पासवान दोनों को ही राजनीतिक मौसम विज्ञान में एक-दूसरे से होड़ लेता हुआ मानते हैं।

हालांकि कुछ लोग ऐसे हैं, जो नीतीश कुमार को रामविलास पासवान से बड़ा राजनीतिक मौसम विज्ञानी मानते हैं। जैसे, धर्मेंद्र सिंह कहते हैं- “पहले तो पासवान जी थे, लेकिन नीतीश कुमार ने उनसे नंबर वन की कुर्सी छीन ली है।”

भवेश भारद्वाज भी ऐसी ही राय रखते हैं।

दूसरी तरफ़, कई लोग ऐसे भी हैं, जो आज भी रामविलास पासवान को नीतीश कुमार से बड़ा मौसम विज्ञानी मानते हैं। इनमें वीरेंद्र कुमार निराला, आशुतोष कुमार पटेल और निखिल पांडेय शामिल हैं।

हालांकि नीलेश दीपक बिल्कुल जनता जनार्दन वाले मोड में हैं और नाराज़गी भरी प्रतिक्रिया दे रहे हैं- “मौसम वैज्ञानिक तो पासवान हैं, लेकिन नीतीश अवसरवादी हैं। अगले चुनाव में देख लेंगे।”

वहीं, आशुतोष आर्यन बिल्कुल लालू के बड़े बेटे तेज़प्रताप वाला तेज़ और प्रताप लेकर व्यंग्य के गोले दाग रहे हैं- “नीतीश जी ने दिल्ली से बाल-नाखून का डीएनए वाला लिफाफा वापस मंगवाया है या नहीं?”

गौरतलब है कि तेजप्रताप ने भी ट्वीट किया था- “नीतीश जी, दिल्ली से बाल-नाखून वाला लिफाफा वापस मंगा लीजिए। आपका डीएनए चेक हो चुका है।”

फेसबुक पर चल रही इस दिलचस्प और लाइव बहस को आप यहां देख सकते हैं-

साथ ही, अपनी राय भी कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। बहसलाइव.कॉम पर यह बहस अभी जारी है।

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