जीएसटी: आज की रात… खोना है क्या? पाना है क्या?
जीएसटी लागू होने से पहले पूरे देश में उथल-पुथल मची हुई है। एक तरफ जहां सरकार इसे ऐतिहासिक घटना बनाने के लिए 30 जून और 1 जुलाई के बीच की मध्यरात्रि पर संसद के सेंट्रल हॉल में भव्य कार्यक्रम करने जा रही है, वहीं कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने इस आयोजन के बहिष्कार का एलान किया है।
सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आई हुई है। कई लोग जहां जीएसटी के महिमामंडन में लगे हैं, वहीं कई इसकी आलोचना कर रहे हैं, तो कई बेहद सधी हुई प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है-
“इस सरकार में काम तो कई बड़े-बड़े हो गए-
1. 25 करोड़ से ज़्यादा जन-धन खाते खुल गए
2. 100 करोड़ से ज़्यादा आधार कार्ड बन गए
3. नोटबंदी का फ़ैसला हो गया
4. जीएसटी लागू हो गया
लेकिन अंजाम देखना अभी बाकी है-
1. अगर लोगों को रोज़गार नहीं मिला
2. अगर विभिन्न सेक्टरों में कारोबारियों की मुश्किलें हल नहीं हुईं
3. अगर महंगाई पर काबू नहीं पाया जा सका
4. अगर रोज़मर्रा का भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ
तो इन सारे आर्थिक सुधारों की समीक्षा डेढ़ साल बाद लोग नए सिरे से करेंगे।”
अभिरंजन कुमार के पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश ने भी जीएसटी के बारे में विस्तार से अपनी राय रखी-
“ये वो पैमाने हैं जिन पर किसी भी सरकार को किसी भी दिन नाकाम साबित किया जा सकता है। लेकिन जरूरी नहीं कि यही सच हो।
1. रोजगार की मुश्किल रहेगी, लेकिन स्वरोजगार के मौके हमेशा रहेंगे। मुद्रा बैंक से जिन 8 करोड़ लोगों ने लोन लेकर काम शुरू किया है वो खुश रहेंगे। जो लोग सरकारी नौकरी की बाट जोहते रहेंगे वो मोदी को गाली देने के लिए स्वतंत्र हैं।
2. कारोबारी से कभी भी पूछ लीजिए वो रोता ही मिलेगा। कल तक कहते थे कि 72 टैक्स है। अब जब एक टैक्स हो गया तो रो रहे हैं। क्योंकि टैक्स चुराने और टैक्स के नाम पर ग्राहकों को चूसने की छूट खत्म हो गई। समझदार कारोबारी इस मौके का फायदा उठाएगा और कारोबार फैलाएगा। धूर्त कारोबारी रोता रहेगा और रवीश कुमार को बाइट देगा।
3. महंगाई एक मायावी वस्तु है। जीएसटी के कारण 100 में से 80 चीजें सस्ती होंगी, लेकिन जो 20 चीजें महंगी होंगी। उनका ग्राफिक बनाकर दिखाया जाएगा कि जीएसटी के कारण महंगाई बढ़ गई। बारिश में सब्जियां महंगी होना हम बचपन से देखते आए हैं, लेकिन बीते 3 साल से इसे सरकार की नाकामी के तौर पर दिखाया जा रहा है। अरहर 60 से 70 रुपये पर चल रही है। इसलिए उसका नाम तक नहीं लेंगे।
4. अगर सरकारी सौदों में घोटाले नहीं हो रहे हैं तो यह मानने में बुराई नहीं कि बड़ी चोरी बंद है। मंत्री चोरी नहीं करेगा तो बाबू को भी सुधरना पड़ेगा। भले ही थोड़ा वक्त लगे। लेकिन इसके लिए डेढ़ साल की समयसीमा बांधना गलत होगा।”
वहीं जीएसटी की आहट सुनकर आईचौक.इन से जुड़े लेखक मृगांक शेखर थोड़े दार्शनिक हो गए हैं। वे ‘डॉन’ फिल्म के एक गीत की पैरोडी बनाते हुए अपनी बात कुछ इस अंदाज़ में रखते हैं-
“आज की रात…
खोना है क्या?
पाना है क्या?
किसके, खाते में क्या?”
व्यंग्यकार आलोक पुराणिक जीएसटी को लाइफ पार्टनर की तरह अबूझ पहेली बताते हुए लोगों को सांत्वना दे रहे हैं-
“लोग कह रहे हैं-जीएसटी समझ ना आ रहा। 99 परसेंट को अपना लाइफ पार्टनर भी समझ ना आता, पर लाइफ चलती है ना। लाइफ आफ्टर जीएसटी अईसे ही चलेगी।”
अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ ने अपनी पहचान के मुताबिक ही एक आर्टिकल छापा है और इसे फेसबुक पर कुछ यूं प्रोमोट किया है-
#GST लागू होने के बाद आपकी लव लाइफ भी खासी प्रभावित होगी। जानें, कैसे…
कई लोग उम्मीदों से लबालब भरे हुए हैं। उन्हें लगता है कि एक देश एक कर की व्यवस्था आई, तो अब एक देश एक कानून और एक समान शिक्षा जैसी व्यवस्थाएं भी दस्तक देने ही वाली हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ऐसा ही एक संदेश हरेश कुमार की वॉल पर देखने को मिला-
“एक राष्ट्र एक कर।
एक राष्ट्र एक कानून, समान नागरिक संहिता।
एक राष्ट्र सबको मिले समान शिक्षा।
एक राष्ट्र सबको मिले समान चिकित्सा।
एक राष्ट्र सबके पास हो अपना घर।”
कुल मिलाकर, जीएसटी को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं। लेकिन इसका असली असर आम नागरिकों पर क्या होगा और देश की अर्थव्यवस्था पर क्या होगा- इसका सही-सही आकलन करने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है।