कुमार विश्वास के नाम अभिरंजन कुमार का खुला पत्र

प्रिय श्री कुमार विश्वास,
 
जब आपकी लड़ाई छोटी होती है, तो यही होता है, जो तीन दिन के भीतर आपके साथ हुआ है। 3 मई को आपने अमानतुल्ला को आम आदमी पार्टी से निलंबित करवाकर राजस्थान का झुनझुना पकड़ा। इस तरह, अरविंद केजरीवाल ने दिखा दिया कि आप किस बात की लड़ाई लड़ रहे थे। उनकी मंशा कभी भी आपको संतुष्ट करने की नहीं थी, बल्कि वे आपको सिर्फ़ एक्सपोज़ करना चाहते थे, जो उन्होंने कर दिया।
 
फिर अगले ही दिन यानी 4 मई को विधानसभा अध्यक्ष ने जो कमेटियां बनाईं, उनमें आपके समर्थकों के पर कतर दिए गए और निलंबित अमानतुल्ला को छह कमेटियों का सदस्य बना दिया। इसके अलावा, एक कमेटी का अध्यक्ष भी बना दिया। यानी केजरीवाल जी की मंशा कभी भी अमानतुल्ला को दंडित करने की नहीं थी। और लीजिए, अब तो आपके समर्थन में आए मंत्री कपिल मिश्रा को भी हटा दिया है।
 
अब क्या करेंगे आप? पार्टी तोड़ेंगे? पार्टी छोड़ेंगे? या मीडिया में बयानबाज़ी करते हुए पार्टी से निकाले जाने का इंतज़ार करेंगे? जो भी करेंगे, आप पर “विश्वास” तो लोगों का कम हो ही गया न? राजनीति में सही समय पर सही फ़ैसला लेना होता है। 3 मई को आप मज़बूत थे, लेकिन उस दिन चूक गए। नतीजा, अब महज तीन दिन बाद, आज दिनांक 6 मई को ही आप उतने मज़बूत नहीं रह गए हैं।
 
हमने तो पहले ही कहा था कि केजरीवाल पर “विश्वास” मत कीजिएगा। जो अन्ना को ठगकर धन्ना की गोदी में बैठ गया, जिसने जन-आंदोलन के नाम पर देश के करोड़ों नौजवानों के भरोसे का ख़ून कर दिया, जो अपना चेहरा चमकाने के लिए हर रोज़ दिल्ली की जनता को चूना लगा रहा है, उसके लिए कुमार विश्वास को ठग लेना कौन-सी बड़ी बात है?
 
ऐसा कोई सगा नहीं, केजरीवाल ने जिसको ठगा नहीं… आपसे कहा था कि नहीं कहा था? बताइए। वैसे, अब आपके लिए यही उचित होगा कि 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के मामले में चुनाव आयोग के फ़ैसले का इंतज़ार करें। अगर चुनाव आयोग ने उन विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी, तो वहां फिर से चुनाव कराने पड़ेंगे। मुमकिन है कि मध्यावधि चुनाव भी कराना पड़े।
 
फिर आप ज़रूर जनता के सामने अपनी बातें कह सकते हैं कि आपने क्या सोचा था और केजरीवाल क्या निकले! मीडिया के चक्कर में अधिक मत पड़िए। मीडिया के लिए यह सब खेल है। खेल-खेल में वह किसी को बना भी देता है और किसी को ध्वस्त भी कर देता है। जो सही समय पर मीडिया को इस्तेमाल कर लेते हैं, वे हीरो बन जाते हैं। और जो ग़लत समय पर मीडिया द्वारा इस्तेमाल हो जाते हैं, वे ज़ीरो बन जाते हैं।
 
शुक्रिया।
 
आपका
अभिरंजन कुमार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *