व्यंग्य: जहां न पर मार सके परिंदा, वहां भी पहुंच जाए दरिंदा!

‘जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि’ वाली कहावत पुरानी हुई। वैसे भी कवि अब वहीं तक पहुंच पाते हैं,

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कश्मीरियत का ढोल पीटना विशुद्ध बेशर्मी है!

रक्तपिपासु राजनीति और टीआरपी-लोलुप मीडिया मिलकर ऐसे-ऐसे जुमले गढ़ लेते हैं, जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता। ऐसा ही

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खुला पत्र: महबूबा मुफ्ती जी, दिखाइए तो किस कश्मीरी का माथा शर्म से झुका हुआ है!

आदरणीया महबूबा मुफ्ती जी, जब भी कश्मीर में कोई आतंकी हमला होता है, आपके मुताबिक हर बार कश्मीरियों का सिर

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जो धर्म डराए, जो किताब भ्रम पैदा करे, उसमें सुधार की सख्त ज़रूरत- अभिरंजन कुमार

जो कट्टरपंथी हैं, वे भी उसी एक किताब से हवाले दे रहे हैं। जो पढ़े-लिखे, उदारवादी और प्रगतिशील हैं, वे

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हो सके तो दो-चार मानवाधिकारवादियों को भी बोनट पर घुमा दीजिए!

अभिरंजन कुमार @talk2abhiranjan

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राजनीतिक दलों ने नहीं अपनाई सच्ची धर्मनिरपेक्षता, तो हिन्दुओं में भी बढ़ सकती है कट्टरता!

अभिरंजन कुमार @talk2abhiranjan

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अमेरिका से कुढ़ो नहीं, अमेरिका जैसा बनो

अमेरिका और उसके राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रम्प समेत) अक्सर भारत में कई लोगों को इसलिए बुरे लगते हैं, क्योंकि वे आतंकवाद

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मैं बुद्धिजीवी आप परजीवी (कविता)

मैं बुद्धिजीवी। आप परजीवी। आइए हम सब आतंकवादियों द्वारा मारे गए लोगों के प्रति दुख प्रकट करें फिर आतंकवादियों को

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भारत अगर चाहता है शांति और सौहार्द्र, तो पाकिस्तान को मिटाना ही होगा!

अभिरंजन कुमार @talk2abhiranjan

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