गांधी के कुएं में पाइप से भरा जा रहा पानी, सौ साल में हो गई इतनी तरक्की!

चंपारण सत्याग्रह की शताब्दी पर ऐतिहासिक भितिहरवा आश्रम से एक ऐसी तस्वीर आई है, जिसे देखकर आप हिल जाएंगे। यह तस्वीर है गांधी के कुएं की। उस कुएं की, जिसके पानी ने यहां प्रवास के दौरान गांधी समेत उनके दल के तमाम सदस्यों की प्यास बुझाई थी। आज सौ साल बाद देश ने इतनी तरक्की कर ली है कि गांधी का यह कुआं स्वयं प्यासा है, और उसे पाइप से पानी पिलाया जा रहा है। पाइप से भी पानी इसलिए पिलाया जा रहा है, क्योंकि यह गांधी के चंपारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष है, इसलिए बड़े-बड़े लोग भितिहरवा आश्रम में गांधी को याद करने आ रहे हैं। अब जब उन्हें यह ऐतिहासिक कुआं सूखा दिखेगा, तो भितिहरवा, चंपारण और बिहार के बहुत सारे भाग्यविधाताओँ की तौहीन हो जाएगी, इसलिए इस कुएं की प्यास पाइप के पानी से बुझाई जा रही है, वरना साल भर यह कुआं प्यासा ही रहता है और एक-एक बूंद पानी को तरसता है।

फोटो सौजन्य: अनुरंजन झा

गांधी के इस प्यासे कुएं की यह तस्वीर उजागर की है वरिष्ठ पत्रकार अनुरंजन झा ने। इस तस्वीर को अपने फेसबुक पेज पर शेयर करते हुए उन्होंने लिखा है- “सौ साल में हमने इतनी तरक्की कर ली है कि कुएँ में पानी पाइप के सहारे भर रहे हैं। सौ साल पहले गांधी चम्पारण आए, यहीं भितिहरवा में अपना आश्रम बनाया और हिंदुस्तान की रंगत बदल दी। यह वही कुआं है जिसका इस्तेमाल गांधी, बा और आश्रम के दूसरे सदस्य पीने से लेकर दूसरे सभी कार्यों के लिए करते थे। सौ साल में हमने यहां की जमीन सुखा दी, उसकी कोख उजाड़ दी और कहते हैं कि काफी तरक्की कर ली है। यह चम्पारण के भितिहरवा आश्रम की ताजा तस्वीर है। कुआं बचाइए नहीं तो कुछ नहीं बचेगा।”

इस तस्वीर के सामने आने पर वरिष्ठ कवि, पत्रकार और मानवतावादी चिंतक अभिरंजन कुमार ने भी अपना ग़ुस्सा कुछ इन शब्दों में ज़ाहिर किया है- “गांधी ने अपने चंपारण प्रवास के दौरान जिस कुएं का पानी पिया, सौ साल बाद आज उसमें पाइप से पानी भरने की ज़रूरत पड़ रही है। यह तस्वीर देखकर मैं तो हिल ही गया। हमने कुएं के कुएं सुखा डाले। तालाबों का सत्यानाश कर दिया। नदियों को नाला बना डाला। जंगल काट डाले। पहाड़ों को नंगा कर दिया। केमिकल के निरंतर इस्तेमाल से माटी को विषैला बना दिया। हवा में ज़हर घोल दिया। सांस लेने पर भी आफ़त है। लोगों का दम घुट रहा है। फिर भी जो लोग कहते हैं कि हमने काफ़ी तरक्की कर ली है, वे वस्तुतः “वंशउजाड़ू” लोग हैं। सॉरी।”

बहसलाइव.कॉम अपने सभी पाठकों को आमंत्रित करता है कि इस कुएं के बहाने वे अपने-अपने इलाके में जल-संकट से जुड़ी तस्वीरें भी हमसे साझा करें और बताएं कि सरकार और प्रशासन द्वारा इस दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे हैं। साथ ही, आप सबसे गुज़ारिश है कि गांधी के इस प्यासे कुएं की कहानी पूरे हिन्दुस्तान को बताएं, ताकि भारत भाग्यविधाताओं की आंखें खुल सकें।

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