विनय कटियार ब्रूयात एक: अप्रिय सत्यम!
प्रियंका गांधी की दो मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
1. नेहरू गांधी परिवार की बेटी होना
2. ख़ूबसूरत होना
डिम्पल यादव की दो मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
1. मुलायम सिंह यादव परिवार की बहू होना
2. ख़ूबसूरत होना
स्मृति इरानी या हेमा मालिनी की दो मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
1. अभिनेत्री होना
2. ख़ूबसूरत होना
क्या हम नहीं जानते कि राजनीति में कोई महिला किन आकर्षणों की वजह से “अचानक” आगे बढ़ जाती है? या किसी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता किसी नेत्री या अभिनेत्री के पीछे क्यों दीवाने हुए जाते हैं? या हमारे मतदाता किन महिला नेताओं के लिए भीड़ की शक्ल में मार करने पर उतारू हो जाते हैं? या हमारे अधिकांश फेसबुक मित्र एक ख़ूबसूरत लड़की की तस्वीर देखते ही किस कदर पागल हो उठते हैं?
अपवाद स्वरूप कुछ नेत्रियां और अभिनेत्रियां हों सकती हैं, जो किसी परिवार की बेटी-बहू या ख़ूबसूरत न होने के बावजूद राजनीति में आगे बढ़ गई होंगी, लेकिन क्या यह सच नहीं है कि हमारी कितनी ही माँएँ-बहनें जीवन भर राजनीति में जान घिसती रह जाती हैं, पर एक दिन “अचानक” कोई ख़ूबसूरत स्त्री आकर उनसे आगे निकल जाती है।
ज़रा सोचिए कि दिग्विजय सिंह जैसी मानसिकता हर पार्टी में है कि नहीं, जो महिलाओं को “टंच माल” समझते हैं और यह भी समझते हैं कि वोटर भी ऐसा ही समझता है?
इसलिए, “विनय कटियार ब्रूयात एक: अप्रिय सत्यम।” जब वे सांप्रदायिकता फैलाने वाली, हिन्दू-मुस्लिम को लड़ाने वाली बात करें, तब विरोध कीजिएगा, अभी तो आप भी जानते हैं कि उनके कहने का तरीका चाहे जो भी हो, पर कहा तो सच ही है!
वरिष्ठ कवि और पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से।