क्या मौकापरस्त हैं आमिर ख़ान? मोहन भागवत से अवार्ड ले नए विवाद में फंसे!
फिल्म स्टार आमिर ख़ान एक नए विवाद में फंस गए हैं। दरअसल 24 अप्रैल को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत के हाथों से दीनानाथ मंगेशकर अवार्ड ग्रहण किया था। दीनानाथ मंगेशकर स्वरकोकिला लता मंगेशकर के पिता थे और उन्हीं के नाम पर हर साल यह अवार्ड दिया जाता है। कहा जा रहा है कि आमिर ख़ान आम तौर पर अवार्ड फंक्शन्स में नहीं जाते हैं और पूरे सोलह साल बाद उन्होंने कोई अवार्ड ग्रहण किया है, लेकिन उनके इस अवार्ड ग्रहण में कई लोग विरोधाभास देख रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार ने इसी विरोधाभास की तरफ़ इशारा करते हुए अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है-
“कल आमिर ख़ान अवार्ड लौटाने वालों के साथ थे, आज ख़ुद अवार्ड ले लिया। वह भी उसी आरएसएस के प्रमुख के हाथों से, जिसपर इस देश में असहिष्णुता भड़काने का आरोप लगाते हुए अवार्ड वापस किये जा रहे थे। मतलब, कल उनके साथ फ़ायदा दिख रहा था, तो उनके साथ हो लिए। आज इनके साथ फ़ायदा दिख रहा है, तो इनके साथ हो लिए। सचमुच… धंधा चलता रहे, इसके लिए क्या-क्या नहीं करना पड़ता है!”
अभिरंजन कुमार ने उन बुद्धिजीवियों पर भी कटाक्ष किया है, जिन्होंने असहिष्णुता विवाद में पुरस्कार लौटाए थे। वे पूछते हैं कि “क्या धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता के वे तथाकथित सिपाही अब आमिर ख़ान का बहिष्कार करेंगे, जो अपने राजनीतिक आकाओं को बिहार चुनाव जिताने के लिए धड़ाधड़ पुरस्कार लौटा रहे थे?”
दरअसल, असहिष्णुता विवाद में आमिर ख़ान से देश के लोग तब काफ़ी नाराज़ हो गए थे, जब उन्होंने एक कार्यक्रम में कह दिया था कि देश में बढ़ती असहिष्णुता के चलते उनकी पत्नी किरण राव ने उनसे एक बार यह देश छोड़ देने की इच्छा ज़ाहिर की थी।
अभिरंजन कुमार के इस पोस्ट पर ज़्यादातर लोग आमिर ख़ान की मौकापरस्ती और दोहरे रवैये के प्रति जमकर गुस्सा निकाल रहे हैं।
वसीम इक़बाल लिखते हैं- “गंदा है पर धंधा है।”
वहीं, चंद्र प्रकाश फिल्म “पीके” में आमिर ख़ान द्वारा हिन्दू देवी-देवताओं के चित्रण से नाख़ुश नज़र आ रहे हैं। वे लिखते हैं- “यह आदमी खुद ही रॉन्ग नंबर है। अभी भागवत से अवॉर्ड भले ले लिया। लेकिन ये दिल से जिहादी है। हिंदू देवी-देवताओं को बाथरूम में बंद करवाने से बाज नहीं आएगा। जब मौका मिलेगा तब घात करेगा।”
रजनीश कुमार लिखते हैं- “Reel life हो या real life… आमिर खान का भी जबाब नहीं। इस मौकापरस्त दुनिया में किसी का भी ऐतबार करना मुश्किल है।”
हालांकि विमलेंद्र नाथ ओझा आरएसएस के प्रति ही हमलावर नज़र आते हैं। वे पूछते हैं- “ज़रा ये भी तो बता देते भाई… अब वो पाकिस्तानी या देशद्रोही रहा कि नहीं, क्योंकि अवार्ड वही दे रहे हैं, जो सर्टिफिकेट भी देते हैं।”
इसी तरह, जहां ऋषि पांडेय आमिर ख़ान के इस यू-टर्न के पीछे “डर” को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं शुभम गर्ग और रवीश राज इसके पीछे “स्वार्थ” बता रहे हैं।
ज़ाहिर है, आमिर ख़ान ने जिनके ख़िलाफ़ अवार्ड लौटाने वालों का साथ दिया था, आज जब उन्हीं से अवार्ड ग्रहण कर रहे हैं, तो विवाद तो होगा ही।