व्यभिचार को अपराध नहीं मानने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से केवल 19% लोग सहमत

आईपीसी की धारा 497 को ख़त्म किए जाने और व्यभिचार को अपराध के दायरे से मुक्त करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश भर में निराशा का वातावरण है। ऐसा लगता है कि देश की अधिसंख्य आबादी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सहमत नहीं है।

वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार ने अपने फेसबुक वॉल पर एक जनमत सर्वेक्षण कराया था। इसमें उन्होंने केवल एक वाक्य का सवाल पूछा था- “व्यभिचार को अपराध नहीं मानने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से आप सहमत हैं?”

28 सितंबर को शुरू किए गए इस पोल में लोगों को केवल “हां” या “नहीं” में जवाब देना था।

हालांकि यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, इसलिए अनेक लोग इस पर खुलकर राय रखने से कतरा रहे हैं, इसके बावजूद जितने लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं रखी हैं, उनके विश्लेषण के बाद ऐसा लगता है कि इस फैसले ने बहुसंख्य आबादी का दिल तोड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जहां केवल 19% लोग सहमत हैं, वहीं 81% लोग असहमत हैं।

इस सर्वेक्षण में शामिल 213 लोगों में से केवल 41 लोगों ने अपना जवाब “हां” दिया। यानी केवल 41 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अपनी सहमति जताई। जबकि 172 लोगों ने अपना जवाब “नहीं” दिया। यानी 172 लोग सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से असहमत थे।

प्रतिशत के लिहाज से बात करें तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जहां केवल 19% लोग सहमत हैं, वहीं 81% लोग असहमत हैं।

यद्यपि सैंपल साइज़ के लिहाज से बात करें तो इसे काफी छोटा कहा जाएगा, लेकिन प्रतिशत के अंतर पर गौर करें तो इस छोटे सैंपल के नतीजे भी बेहद विश्वसनीय कहे जा सकते हैं।

आपको बता दें कि आईपीसी की धारा 497 को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि व्यभिचार के मामलों में अब आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा, हालांकि यह पति-पत्नी के बीच तलाक का ग्राउंड बना रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अनेक लोगों ने आशंका जताई थी कि इस फैसले से समाज में व्यभिचार बढ़ेगा और भारतीय समाज में हज़ारों वर्षों से चली आ रही विवाह व्यवस्था बेमानी हो जाएगी।

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